ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) घरेलू उपचार
ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) के लक्षण, कारण, घरेलू उपचार और परहेज
ल्यूकोरिया (Leucorrhea) को कुछ लोग लिकोरिया (Likoria) नाम से भी पुकारते हैं। इस बीमारी में योनि से चिपचिपा, दुर्गन्धयुक्त, गाढ़ा पानी बहता है। जब यह बीमारी किसी महिला को होती है, तो महिला शुरुआत में ल्यूकोरिया के बारे में किसी को नहीं बताती है। नतीजा यह होता है कि बीमारी और बड़ी हो जाती है। ऐसा नहीं करना चाहिए। ल्यूकोरिया के इलाज के कई सारे घरेलू उपाय हैं, जिनका उपयोग कर आप ल्यूकोरिया का इलाज कर सकती हैं।
आयुर्वेद में ल्यूकोरिया को श्वेत प्रदर कहा गया है। इसे एक स्वतंत्र रोग ना कहकर योनि के विभिन्न रोगों का लक्षण कहा गया है। जो महिलाएं अस्वस्थ आहार, अधिक नमकीन, खट्टे, चटपटे, प्रदाही, चिकने तथा मांस-मदिरा का अधिक सेवन करती हैं, उनको ल्यूकोरिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
ल्यूकोरिाय (श्वेत प्रदर) क्या है?
ल्यूकोरिया को सामान्य भाषा में सफेद पानी या श्वेत प्रदर भी कहा जाता है। यह स्त्रियों में होने वाली एक आम बीमारी है। इसमें योनि से सफेद रंग का गाढ़ा और दुर्गन्धयुक्त पानी निकलता है। किसी तरह का इन्फेक्शन होने पर स्राव पीले, हल्के नीले या हल्के लाल रंग का, और बहुत चिपचिपा एवं बदबूदार होता है। यह किसी योनि या गर्भाशय से संबंधित रोग का लक्षण भी हो सकता है। ल्यूकोरिया का उपचार ना करने पर महिला का स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है। अलग-अलग महिलाओं में स्राव की मात्रा एवं समयावधि अलग-अलग होती है। इसके कारण प्रजनन अंगों में सूजन आ जाती है।
ल्यूकोरिया के प्रकार (Leucorrhea Types)
ल्यूकोरिया के दो प्रकार के होते हैंः-
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स्वभाविक योनिस्राव
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अस्वभाविक योनिस्राव
स्वभाविक ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर)
मासिक चक्र के दौरान योनि से पानी जैसा बहने वाला दुर्गन्धरहित चिपचिपा, पतला और सामान्य माना जाता है। महिलाओं में अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव बढ़ जाता है। यह स्त्री के शरीर की सामान्य प्रक्रिया है। इसमें किसी उपचार की जरूरत नहीं होती है। केवल उचित आहार-विहार का पालन करना चाहिए।
अस्वभाविक ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर)
ऐसा बैक्टेरियल इन्फेक्शन होने पर देखा जाता है। स्राव का रंग असामान्य गाढ़ापन लिए हुए एवं दुर्गन्धयुक्त होता है। यह Yeast Infection भी हो सकता है।
ल्यूकोरिया के लक्षण (Leucorrhoea Symptoms)
ल्यूकोरिया की पहचान इन लक्षणों से की जा सकती हैः-
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योनिमार्ग में तीव्र खुजली एवं चुनचुनाहट होना।
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कमर में दर्द बना रहना।
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कमजोरी महसूस होना एवं चक्कर आना।
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बार-बार पेशाब आना और पेट में भारीपन बना रहना।
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भूख ना लगना एवं जी मिचलाना।
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आखों के नीचे काले घेरों का पड़ना।
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थोड़ा-सा मेहनत करने पर भी आंखों के सामने अंधेरा छा जाना एवं कभी-कभी चक्कर आना।
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पिंडलियों में खिंचाव एवं शरीर भारी रहना।
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चिड़चिड़ापन रहना।
ल्यूकोरिया के कारण (Leucorrhoea Causes)
मासिक धर्म में पहले या बाद में थोड़ी मात्रा में सफेद पानी बहना सामान्य बात है, लेकिन अधिक मात्रा में, नियमित रूप से पीला या नीलापन लिए स्राव आने लगे तो ये कारण हो सकते हैंः-
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अविवाहित महिलाओं में यह पोषण की कमी, योनि की अस्वच्छता, खून की कमी और तला हुए तेज मसालेदार भोजन करने से होता है।
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योनि में ‘ट्रिकोमोन्स वेगिनेल्स’ नामक बैक्टीरिया के कारण ल्यूकोरिया होता है।
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बार-बार गर्भपात होना या कराना।
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डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं की योनि में फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग के कारण ल्यूकोरिया होता है।
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असामान्य यौन सम्बन्धों से होने वाले संक्रमण के कारण।
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शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होने के कारण।
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तनाव एवं अत्यधिक मेहनत करने के कारण।
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कॉपर-टी लगा हुआ होने पर।
ल्यूकोरिया के इलाज के लिए घरेलू उपाय (Home Remedies for Leucorrhea)
आप ल्यूकोरिया के लिए ये घरेलू नुस्खे आजमा सकती हैंः-
आंवले के सेवन से ल्यूकोरिया का इलाज (Amla: Home Remedies for Leucorrhea Treatment)
आंवले को सुखाकर चूर्ण बना लें। इसे पानी के साथ सेवन करें। नियमित रूप से सेवन करने से ल्यूकोरिया की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी।
केले से ल्यूकोरिया का घरेलू उपचार (Banana: Home Remedies to Treat Leucorrhoea)
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पके हुए केले को चीनी के साथ खाने से कुछ ही दिनों में सफेद पानी की समस्या दूर हो जाती है।
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पके हुए केले को घी या मक्खन के साथ दिन में दो बार खाने से लिकोरिया से आराम मिलता है।
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पके हुए केले को बीच से काट लें। इसमें एक ग्राम कच्ची फिटकरी डालें, और दिन में एक बार खाएं। इस नुस्खे को एक हफ्ते तक हर रोज करने से लिकोरिया की समस्या ठीक हो जाती है।
जामुन करता है ल्यूकोरिया का घरेलू इलाज (Blackberry: Home Remedies for Leucorrhoea Disease)
जामुन की छाल को सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण को दिन में दो बार पानी के साथ लें।
अंजीर का उपयोग ल्यूकोरिया में लाभदायक (Anjeer: Home Remedy for Leucorrhea or Likoria treatment)
रात भर एक कप पानी में 2-3 सूखें अंजीर भिगोकर रखें। अगली सुबह, गले अंजीरों को पीसकर खाली पेट सेवन करें।
ल्यूकोरिया का उपाय त्रिफला चूर्ण (Triphala Benefits in Leucorrhea Treatment)
चार चम्मच त्रिफला चूर्ण को लगभग 2-3 गिलास पानी में रात भर भीगने दें। सुबह छानकर इस पानी से योनि को धोएं।
अमरूद है ल्यूकोरिया को ठीक करने का उपाय (Uses of Guava in Leucorrhoea)
अमरूद के 5-7 पत्तों को आधे घण्टे तक पानी में उबाल लें। ठण्डा होने के बाद छानकर इस पानी से दो बार योनि को धोएं।
नीम के प्रयोग से ल्यूकोरिया का इलाज (Neem Uses in Leucorrhea Treatment)
नीम की छाल को पीसकर पाउडर बना लें। इसे शहद में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।
ल्यूकोरिया को ठीक करने के अन्य घरेलू उपचार (Other Home Remedies for Leucorrhea Treatment)
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दालचीनी, सफेद जीरा, अशोक छाल और इलायची के बीज को पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। इसे ठण्डा होने के बाद छान लें। अब इस पानी से दिन में दो बार योनि को धोएं।
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अपने आहार में दही का इस्तेमाल करें। दही में रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता होती है, जो शरीर में संक्रमण को कम करती है।
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गुलाब के पत्तों को पीस कर दिन में दो बार एक चम्मच दूध के साथ लें।
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सफेद मूसली के चूर्ण में इसबगोल मिलाकर दूध के साथ सेवन करें।
ल्यूकोरिया में आपका खान-पान (Your Diet for Leucorrhoea Disease)
ल्यूकोरिया के दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
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अधिक नमक एवं मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
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जंक फूड एवं बासी भोजन का नहीं खाना चाहिए।
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फल एवं रेशेदार सब्जियों को अधिक से अधिक अपने आहार में शामिल करें।
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पौष्टिक भोजन लें।
ल्यूकोरिया रोग में आपकी जीवनशैली (Your Lifestyle for Leucorrhoea Disease)
ल्यूकोरिया के दौरान आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
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शरीर को साफ रखें। योनिमार्ग को अच्छी प्रकार से पानी से साफ करें।
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अंडरगार्मेंट (अंतवस्त्र) सूती कपड़ों को पहने। दिन में दो बार इन्हें बदलें।
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गर्भपात के लिए अधिक दवाइयों का सेवन ना करें।
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मासिक धर्म के समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
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हर 4-6 घण्टे में पैड बदलते रहें।
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स्टरलाइज पैड्स का इस्तेमाल करें।
ल्यूकोरिया की बीमारी में डॉक्टर से कब सम्पर्क करें (When to Contact with Doctor in Leucorrhea?)
इन अवस्था में डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिएः-
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यदि योनि से लंबे समय तक स्राव होता रहे, तथा बहुत अधिक खुजलाहट एवं जलन होती हो।
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स्राव का रंग पीला, हल्का लाल या हल्का नीला हो।
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अधिक चिपचिपा एवं दुर्गन्धयुक्त हो तो यह इन्फेक्शन को दर्शाता है। ऐसे में महिला में कमजोरी एवं अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
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